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रविवार, 6 सितंबर 2009

टीचर और टयूटर
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आजकल नहीं मिलते
किसी भी स्कूल मै
कोई टीचेर
इसलिए नहीं मानता
कोई विद्यार्थी
किसी अध्यापक को
अपना गुरु या मार्ग दर्शक

आजकल तो अध्यापक भी
सर्व पल्ली राधा कृष्णन
और जाकिर हुसैन को
भूतपूर्व राष्ट्रपति ही
कहते ,मानते और समझते हैं
टीचर नहीं

टीचर आजकल
इतिहास की किताबों मै
भले ही कहीं
मिल जाएँ
स्कूलों मै तो
सिर्फ
टयूटर ही मिलेंगे
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7 टिप्‍पणियां:

Dr. Amarjeet Kaunke ने कहा…

दोनों कवितायेँ बहुत ही खुबसूरत हैं...
और हमारे समाज की समकालीन
समस्यों को पेश करती हैं....आपको इन
कविताओं के लिए बहुत मुबारक...
ऐसे ही लिखते रहीए.....डॉ.अमरजीत कौंके

नमिता राकेश ने कहा…

amarjeet ji

many many thnx 4 admiring my poems
namita rakesh

नमिता राकेश ने कहा…

amarjeet ji

many many thnx 4 admiring my poems
namita rakesh

APNA GHAR ने कहा…

BAHUT KHOOB LIKHA AAPNE

राजीव तनेजा ने कहा…

आपने बिलकुल सही कहा आज के ज़माने में न तो विद्यार्थियों के मन में अपने गुरुओं के प्रति वो आदर भाव है और ना ही अध्यापकों में अपने शिष्यों को पढ़ा-लिखा कर सुधारते हुए अच्छा इंसान बनाने का जज्बा ...
सुन्दर प्रस्तुति

कविता रावत ने कहा…

Sateek rachna...
Bahut badhai

तिलक राज कपूर ने कहा…

आजकल तो ...सर्व पल्ली राधा कृष्णन और जाकिर हुसैन को ... टीचर नहीं।

हृदयस्‍पर्शी भाव हैं। गुरू शिष्‍य परंपरा क इसे देश में यह हश्र?
सत्‍य यही है कि अब धीरे-धीरे परंपरायें बाजंारीकरण की शि‍कार होती जा रही हैं। पहले निजि क्षेत्र शिक्षा में रुचि लेता था तो समाज-सेवा के रूप में अब व्‍यवसायिक सेाच से लेता है।
वर्ष 1996 में गार्टनर रिपोर्ट का एक सारॉंश पढ़ा था तो विश्‍वास नहीं हुआ था कि 21 वीं सदी में शिक्षा सबसे बड़ा व्‍यवसायिक रुझान होगी। अब देख रहे हैं।