वो हम जैसा दिखता है
पर हम जैसा है नही
हम चलते है जमीन पर
बात करते है आसमान की
वो चलता है रस्सी पर
बात करता है
सिर्फ़ पेट की
दिखाता है करतब
अजब अनोखे अनूठे
और एक पहिये की साइकिल
रस्सी पर चलाता हुआ
अपने आस पास जुटी भीड़ से
पूछता है एक ही सवाल
मुकाबला करोगे
मेरे बैलेंस का
अपने बैंक बैलेंस से
मेरा बैलेंस मेरी मजबूरी है
मेरी रोज़ी रोटी है
तुम्हारा बैलेंस ?
तुम्हारा स्टेटस सिम्बल !
पर हम जैसा है नही
हम चलते है जमीन पर
बात करते है आसमान की
वो चलता है रस्सी पर
बात करता है
सिर्फ़ पेट की
दिखाता है करतब
अजब अनोखे अनूठे
और एक पहिये की साइकिल
रस्सी पर चलाता हुआ
अपने आस पास जुटी भीड़ से
पूछता है एक ही सवाल
मुकाबला करोगे
मेरे बैलेंस का
अपने बैंक बैलेंस से
मेरा बैलेंस मेरी मजबूरी है
मेरी रोज़ी रोटी है
तुम्हारा बैलेंस ?
तुम्हारा स्टेटस सिम्बल !
13 टिप्पणियां:
सुन्दर। एक प्रशासनिक अधिकारी के मन में संवेदनाऍं है। जानकर सुखद लगा। शुभकामनाएँ।
प्रभावी।
शुभकामनाओं के साथ स्वागत है हिंदी ब्लॉग जगत पर।
man ke bhaavon को लाजवाब tarike se kaagaz par utaara hai aapne..............
pet की majboori kaa balance sach में bahot duk detaa hai
ब्लॉग जगत पर स्वागत है
अच्छा लगा आपका यह अन्दाज
श्याम सखा‘श्याम’
्सं-मसि-कागद
मुआफ़ी की गुजारिश पहले।
उसके बाद बंदा यह कहना चाहता है फिलहाल कि आपके वज़्नदार तआरूफ़ के आगे यह कविता ज्यादा छूने वाली नहीं लगी।
यह सनद रहे कि नाचीज़ ने कविता का जिक्र किया है। बात में आपकी दम अपनी जगह है ही, उसी ने यह लिखने की प्रेरणा दी है।
उम्मीद है धीरे-धीरे आपका बेहतर सामने आएगा।
nice.narayan narayan
सुन्दर। शुभकामनाएँ।
हिंदी भाषा को इन्टरनेट जगत मे लोकप्रिय करने के लिए आपका साधुवाद |
नीरज जी ,
आपकी टिपण्णी के लिए शुक्रिया .वैसे प्रशासनिक अधिकारी एक कवि हो सकता है ओउर एक कविएक प्रशासनिक अधिकारी हो सकता है,क्यों कि मूल रूप से एक संवेदन शील दिल में कविता ऐसे ही होती है जैसे चन्दन में शीतलता .सो आप बिना ताजुब्ब के कविता और ग़ज़ल का आनंद लीजिये .अगली चिठ्ठी का इंतजार रहेगा आप www.voiceoffaridabad .com पर poetryoffaridabad पेज क्लिक करेंगे तो कुछ और शेर पढने क बजाय सुन भी सकेंगे
नमिता राकेश
श्याम सखा जी
नमस्कार .
मेरे ब्लॉग पर आने के लिए शुक्रिया. आपको पढ़ती रहती हूँ .दो नई पोस्ट पर आपकी राय का स्वागत है .
नमिता राकेश
उपर्युक्त आप सभी को
अभी नया नया लिखना सीखा है ब्लॉग पर सो एक साथ सभी को लिख रही हूँ धन्यवाद स्वरुप ..टाइपिंग नहीं आती है मुझे .एक मित्र श्री देवमणि पांडये जी के इ मेल के ज़रिये और अपने पुत्र उत्कर्ष की मदद से ये संभव हो पाया है .सच ,बड़ा अच्छा लग रहा है अपनी उँगलियों के मात्र हलके से दवाब से अक्षरों का मेरे सामने emerge होना .खासकर आप सभी से संपर्क होना i
नमिता राकेश
MANVIYA SAMVEDNA UBHARTI EK,SUNER ABHVYAKTI,HUM JAISA DIKHTA HEY. HUM JAISA HEY NAHIN , SHUBHKAMNAYE...
नमस्कार नमिता जी,
आप से बात करके आपके ब्लोग का पता चला... सुन्दर ब्लोग है साथ ही सुन्दर सुन्दर रचनायें भी पढने को मिली... अब अक्सर यहां आवाजाही रहेगी
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