ग़ज़ल
अपनी क्या तकदीर जनाब
हवा में जैसे तीर जनाब
कुछ ग़ज़लें कुछ गीत फकत
है अपनी जागीर जनाब
लफ्जों के वो बानी थे
क्या ग़ालिब क्या मीर जनाब
जंग मुहब्बत से जीतो
छोडो भी शमशीर जनाब
प्यार की धारा बह निकले
कीजे वो तदबीर जनाब
खाब जो कल मैंने देखा
तुम उसकी ताबीर जनाब
शेर नमिता के जैसे
तरकश के हों तीर जनाब
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5 टिप्पणियां:
Achcha laga aapke blog par aakar.Shubkamnayen.
teer shabad kaa upyog apne bahut khubsurti se kiya....sachmuch teer maar dia jnaab.....
नमिता राकेश जी
आदाब
आपका ब्लाग और सभी कविताऐँ बहुत पसंद आईँ।
आपके पूरे होँ सब ख़्वाब
अच्छी हो ताबीर जनाब
हार्दिक बधाई
अहमद अली बर्क़ी आज़मी
g, shukriya jnab
vese apni kya aukat jnab?
achi rachna ke liye aapko badhaai....
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